इनपुट और आउटपुट डिवाइस क्या हैं?

इनपुट और आउटपुट डिवाइस क्या हैं? : जैसा की हम सभी जानते हैं की कम्प्यूटर में डाटा डालने के लिए हमें इनपुट तथा इनपुट डाटा का परिणाम देखने के लिए आउटपुट डिवाइस की आवश्यकता होती है जिससे हम कम्प्यूटर को सुचारु रूप से चला सकते हैं।

इनपुट और आउटपुट डिवाइस क्या हैं?

इनपुट और आउटपुट डिवाइस क्या हैं?
इनपुट और आउटपुट डिवाइस क्या हैं?

तो आइये जानते हैं की ये इनपुट और आउटपुट डिवाइस क्या हैं? नमस्ते दोस्तों ! आप सभी का एक बार फिर स्वागत है। आज हम जानेंगे की इनपुट और आउटपुट डिवाइस क्या हैं? (What is Input and Output Device in Hindi)

इनपुट और आउटपुट डिवाइस क्या हैं?

इनपुट डिवाइस (Input Device) : 

यह एक वैद्युत यांत्रिक युक्ति (Electromechanical Device) है।

जो डाटा और अनुदेशों को यूजर द्वारा स्वीकार कर उसे कम्प्यूटर में प्रविष्ट करने का काम करती है। इस प्रकार वे यंत्र जिनके द्वारा डाटा व अनुदेशों को कम्प्यूटर में डाला जाता है , इनपुट डिवाइस कहलाते हैं।

कुछ प्रमुख इनपुट डिवाइस निम्नलिखित हैं –

  1. की-बोर्ड (Key Board)
  2. माउस (Mause)
  3. जॉयस्टिक (Joystick)
  4. प्रकाशीय पेन (Light Pen)
  5. स्कैनर (Scanner)
  6. बार कोड रीडर (Bar Code Reader)
  7. माइकर (MICR – Magnetic Ink Character Recognition)
  8. पंच कार्ड रीडर (Punch Card Reader)
  9. डिजिटल कैमरा (Digital Camera)
  10. टच स्क्रीन (Touch Screen)
  11. माइक (Mike)
  12. स्पीच रिकग्निशन सिस्टम (Speech Recognition System)

आइये कुछ इनपुट डिवाइस के बारे में विस्तार से जानते हैं :

1. की-बोर्ड (Key Board)

keyboard

यह एक मुख्य इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग कम्प्यूटर में डाटा को इनपुट या डालने के लिए किया जाता है। आजकल 104 बटनों वाले QWERTY की-बोर्ड का प्रयोग किया जाता है। इसमें बटनों की व्यवस्था प्रचलित टाइपराइटर के बटनों की तरह ही होती है।  की-बोर्ड को CPU में बने एक विशेष पोर्ट से जोड़ा जाता है। की-बोर्ड कई प्रकार के होते हैं –

  1. USB Key Board
  2. PS2 Key Board
  3. Wifi Key Board

कार्य और स्थिति के अनुसार इसे निम्न भागों में बांट सकते हैं –

1. मुख्य की-बोर्ड (Main Keyboard) या टाइपराइटर बटन (Typewriter Key) :

यह की-बोर्ड के बायें-मध्य भाग में अंग्रेजी टाइपराइटर के समान व्यवस्थित होता है। इसमें अंग्रेजी के सभी अक्षर (A से Z तक ) ,अंक (0 से 9 ) तथा कुछ विशेष चिन्ह रहतें हैं। इसे अक्षर बटन (Alphabet Key) तथा संख्यात्मक बटन (Numeric Key) भी कहा जाता है।

2. फंक्शन बटन (Function Keys) :

ये की-बोर्ड के सबसे ऊपर स्थित F1 से F12 तक अंकित बटन होते हैं। इनका कार्य प्रयोग किये जाने वाले सॉफ्टवेयर पर निर्भर करता है। वास्तव में ये एक पूरे आदेश के बराबर होते हैं। जिनकी हमें बार-बार आवश्यकता होती है। इससे समय की बचत होती है।

3. संख्यात्मक बटन (Numeric Keys) :

की-बोर्ड के दायीं तरफ कैलकुलेटर के समान स्थित बटनों को संख्यात्मक की-पैड कहा जाता है। इनका प्रयोग संख्यात्मक डाटा को तीव्र गति से भरने के लिए किया जाता है। इनमे 0 से 9 तक , दशमलव(.) , जोड़ (+) , घटाव (-) , गुणा (x ) , भाग (/) आदि के बटन होते हैं।

4. कर्सर मूवमेंट बटन (Cursor Movement Keys) : 

की-बोर्ड के दायें निचले भाग में तीर के निशान वाले चार बटन होते हैं जिनसे कर्सर को दायें (→) , बायें (←) , ऊपर (↑) , नीचे (↓) ले जाया जा सकता है। इन्हें एरो बटन (Arrow Key) भी कहते हैं। इन्हें एक बार दबाने से कर्सर एक स्थान दायें या बायें या एक लाइन ऊपर या नीचे हो जाता है।

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इसके ठीक ऊपर कर्सर कंट्रोल के लिए कुछ बटन और होती हैं जो इस प्रकार हैं –

होम (Home) : यह कर्सर को लाइन या पेज के आरंभ में ले जाता है।

इंड (End) : यह कर्सर को लाइन या पेज के अंत में ले जाता है।

पेज अप (Page up) : कर्सर को पिछले पेज में ले जाता है।

पेज डाउन (Page Down) : कर्सर को अगले पेज पर ले जाता है।

स्पेशल परपस बटन (Special Purpose Key)

ये किसी खास उद्देश्य के लिए बनाये जाते हैं। कुछ keys और उनके कार्य इस प्रकार हैं –

1. कैप्स लॉक बटन (Caps Lock Key) : इसका प्रयोग अंग्रेजी वर्णमाला को छोटे अक्षरों (Small Letters) या बड़े अक्षरों (Capital Letters) में लिखने के लिए किया जाता है।

2. शिफ्ट बटन (Shift Key) : इसे संयोजन बटन (Combination Key) भी कहते हैं क्योकि इसका उपयोग किसी और बटन के साथ किया जाता है। किसी बटन पर दो चिन्ह रहने पर शिफ्ट बटन के साथ उस बटन को दबाने पर ऊपर वाला चिन्ह टाइप होता है। जबकि उस बटन को बिना शिफ्ट बटन के बिना दबाने पर नीचे लिखा चिन्ह टाइप होता है।

अगर कैप्सलॉक बटन ऑन है तो शिफ्ट बटन के साथ वर्णमाला के बटन दबाने पर छोटे अक्षर टाइप होते हैं। और अगर कैप्सलॉक बटन ऑफ है तो शिफ्ट बटन के साथ वर्णमाला के बटन दबाने पर बड़े अक्षर टाइप होते हैं।

3. टैब बटन (Tab Key) : यह कर्सर को एक निश्चित दूरी जो रूलर द्वारा तय की जा सकती है ,तक कुदाते हुए ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है। किसी चार्ट , टेबल या एक्सेल प्रोग्राम में एक खाने से दूसरे खाने में जाने के लिए भी टैब बटन का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा डायलॉग बॉक्स में उपलब्ध विकल्पों में से किसी एक का चयन किया जा सकता है।

4. इंटर बटन (Enter Key) :

कम्प्यूटर को दिए गए निर्देशों को कार्यान्वित करने के लिए इंटर बटन का प्रयोग करते हैं। वर्ड प्रोसेसिंग या प्रोग्राम में नया पैराग्राफ या लाइन आरम्भ करने का कार्य भी इससे किया जाता है।

5. कंट्रोल और ऑल्ट बटन (Ctrl & Alt Key) :

ये दो अलग बटन हैं जिनका प्रयोग बहुधा किसी अन्य बटन के साथ मिलाकर विशेष कार्यों में किया जाता है।

2. माउस (Mouse)

Mouse

माउस भी एक इनपुट डिवाइस है जिसे प्वाइंटिंग डिवाइस (Pointing Device) भी कहा जाता है। GUI (Graphical User Interface) के प्रयोग से इसका महत्त्व बढ़ गया है। माउस के अविष्कार का श्रेय डॉ. एंजेलबर्ट (Dr. Engelbart) को जाता है। सामान्यतः माउस में दो या तीन बटने होती है।

इसके नीचे एक रबर बॉल होता है जिसे किसी समतल सतह पर माउस को हिलाने पर बॉल घूमता है।

जिससे इसकी गति और दिशा मॉनीटर पर माउस प्वाइंटर (↑) की गति और दिशा में परिवर्तित हो जाती है।

माउस में तीन बटन होते हैं –

बायां बटन (Left Button) : इससे क्लिक , डबल क्लिक , प्वाइंट या ड्रैग का काम लिया जाता है।

दायां बटन (Right Button) : यह विशेष कार्य जैसे- डायलॉग बॉक्स खोलने , प्रोपर्टीज देखने आदि का काम करता है।

मध्य बटन (Centre Button) : इसे स्क्रॉल बटन भी कहते हैं। इसका प्रयोग किसी डॉक्यूमेंट में पेज को आगे-पीछे करने में किया जाता है।

माउस के मुख्य कार्य निम्न हैं –

प्वाइंट और सेलेक्ट (Point and Select) करना : माउस प्वाइंटर को किसी स्थान पर ले जाने पर अलग वह हाथ के आकार का हो जाए तो इसे प्वाइंट कहते हैं। किसी स्थान पर अगर आइकॉन या अक्षर के रंग में परिवर्तन हो जाये तो इसे सेलेक्ट कहा जाता है।

क्लिक (Click) : माउस बटन को एक बार दबा कर छोड़ना।

डबल क्लिक (Double Click) : माउस के बांये बटन को जल्दी-जल्दी दो बार दबा कर छोड़ना।

ड्रैग (Drag) : माउस के बायें बटन को दबाये रखकर माउस को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना। इसका प्रयोग आइकॉन , चित्र या अक्षर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए किया जाता है।

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ऑप्टिकल माउस (Optical Mouse) 

इसमें रबर की जगह प्रकाशीय डायोड (LED) और सेंसर का प्रयोग  जाता है।

इसके लिए किसी विशेष सतह की जरुरत नहीं पड़ती है। तथा टूट फूट की सम्भावना भी कम होती है।

2. ट्रैक बाल (Track Ball)

यह माउस का ही प्रारूप होता है परन्तु इसमें रबर बाल नीचे न होकर ऊपर होता है। इसमें माउस को अपने स्थान से हटाए बिना रबर बाल को घुमाकर प्वाइंटर के स्थान में परिवर्तन किया जाता है। इसका प्रयोग मुख्यतः कैड (CAD-Computer Aided Design) तथा कैम (CAM-Computer Aided Manufacturing) में किया जाता है।

3. जॉयस्टिक (Joystick)

joystick

यह एक प्वाइंटिंग डिवाइस है जो ट्रैकबॉल की तरह ही कार्य करता है।

इसमें बाल के साथ एक छड़ी लगा दी जाती है ताकि बाल को आसानी से घुमाया जा सके। इसका उपयोग वीडियो गेम , सिमुलेटर परीक्षण (Training Simulator) आदि में किया जाता है।

4. प्रकाशीय पेन (Light Pen)

यह पेन के आकार का प्वाइंटिंग डिवाइस है जिसका उपयोग इनपुट डिवाइस की तरह किया जाता है।

इसका उपयोग कम्प्यूटर स्क्रीन पर लिखने , चित्र बनाने या बारकोड (Bar Code) को पढ़ने में किया जाता है।

5. स्कैनर (Scanner)

Scanner

यह भी एक इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग करके तस्वीर और रेखाचित्र को डिजिटल चित्र में परिवर्तित कर मेमोरी में सुरक्षित रखा जा सकता है। डिजिटल चित्र पर कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेसिंग भी किया जा सकता है।

स्कैनर मुख्यतः दो प्रकार का होता है –

(1) फ्लैटबेड स्कैनर (Flatbed Scanner) : इसका आकर फोटोकॉपी मशीन की तरह होता है।

(2) हैंड हेल्ड स्कैनर (Hand Held Scanner)

6. बार कोड रीडर (BCR- Bar Code Reader)

BCR

बार कोड विभिन्न चौड़ाई की काली पट्टियां होती है। उनकी चौड़ाई और दो पट्टियों के बीच की दूरी के हिसाब से उनमें सूचनाएं निहित होती हैं।  इन सूचनाओं को बार कोड रीडर की सहायता से कम्प्यूटर में डालकर उत्पाद , वस्तु के प्रकार आदि का पता लगाया जा सकता है। बार कोड रीडर लेज़र बीम का उपयोग करता है तथा परावर्तित किरणों के द्वारा डाटा को कम्प्यूटर में डालता है।

7. ऑप्टीकल मार्क रीडर ( Optical Mark Reader)

यह एक इनपुट डिवाइस है जो विशेष प्रकार के संकेतो/चिन्हो को पढ़ कर उसे कम्प्यूटर द्वारा उपयोग के योग्य बनाता है। आजकल वस्तुनिष्ठ उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। इसमें उच्च तीव्रता वाले प्रकाशीय किरणों को कागज पर डाला जाता है तथा पेन या पेंसिल के निशान से परिवर्तित किरणों का अध्ययन कर सही उत्तर का पता लगाया जाता है।

8. टच स्क्रीन (Touch Screen)

Touch screen

इसमें कम्प्यूटर स्क्रीन पर उपलब्ध विकल्पों में से किसी एक को छूकर निर्देश दिए जा सकते हैं।

टच स्क्रीन का उपयोग बैंको में एटीएम (ATM) तथा सार्वजनिक सुचना केंद्र में किया जाता है।

इनपुट डिवाइस के बारे में जानने के बाद आइये अब आउटपुट डिवाइसों में बारे में विस्तार से जानते हैं।

आउटपुट डिवाइस (Output Device)

यह एक विद्युत यांत्रिक युक्ति है जो कम्प्यूटर से बाइनरी डाटा लेकर उसे उपयोगकर्ता के लिए उपयुक्त डाटा में बदल देता है। तथा हमें परिणाम प्रदान करता है।

कम्प्यूटर आउटपुट को दो भागों में बांटा जा सकता है –

(1) सॉफ्टकॉपी आउटपुट : यह अस्थायी आउटपुट होता है जिसे हम छू नहीं सकते। मॉनिटर और स्पीकर पर प्राप्त आउटपुट इसके उदाहरण हैं।

(2) हार्डकॉपी आउटपुट : यह स्थायी आउटपुट होता है। यह कागज पर प्राप्त परिणाम होता है जिसे हम छू सकते हैं।

कुछ प्रमुख आउटपुट डिवाइस निम्न हैं –

  1. मॉनिटर या VDU
  2. प्रिंटर
  3. प्लॉटर
  4. स्पीकर
  5. कार्ड रीडर
  6. टेप रीडर
  7. स्क्रीन इमेज प्रोजेक्टर

1. मॉनीटर या वीडियू (Monitor or VDU – Visual Display Unit)

Monitor

यह एक सॉफ्टकॉपी प्रदान करने वाला लोकप्रिय आउटपुट डिवाइस है जो डाटा और सूचनाओं को प्रदर्शित करता है। कम्प्यूटर पर किये जाने वाले प्रत्येक कार्य की सूचना देकर यह कम्प्यूटर और उपयोगकर्ता के बीच संबंध स्थापित करता है।

मॉनीटर मुख्यतः दो प्रकार का होता है –

  1. डिस्प्ले के आधार पर (मोनोक्रोम मॉनीटर , कलर मॉनीटर)
  2. तकनीक या संरचना के आधार पर (CRT , LCD)

1. डिस्प्ले के आधार पर –

A. मोनोक्रोम मॉनीटर (Monochrome Moniter) : यह ब्लैक एंड वाइट डिस्प्ले प्रदर्शित करता है।

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B. कलर मॉनीटर (Colour Moniter) : यह 16 , 32 या 256 रंगों में डिस्प्ले प्रदर्शित करता है। इसमें तीन मूल रंग लाल , हरा , नीला (RGB) का प्रयोग किया जाता है तथा इसके मिश्रण से अन्य रंग प्रदर्शित किये जाते हैं।

2. संरचना के आधार पर –

A. CRT (Cathode Ray Tube) मॉनीटर : यह एक बड़ा ट्यूब होता है जिसमे उच्च वोल्टेज द्वारा इलेक्ट्रान बीम को नियंत्रित कर डिस्प्ले प्राप्त किया जाता है। यह टीवी स्क्रीन जैसा होता है।

B. LCD (Liquid Crystal Display) मॉनीटर : इसमें दो परतों के बीच तरल क्रिस्टल भरा रहता है जिसे वोल्टेज द्वारा प्रभावित कर डिस्प्ले प्राप्त किया जाता है। इसका प्रयोग मुख्यतः लैपटॉप में होता है। यह पतला , हल्का और कम बिजली की खपत करने वाला होता है। इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों , कैलकुलेटर आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

2. प्रिंटर (Printer)

Printer

यह हार्डकॉपी या स्थायी प्रति प्रदान करने वाला आउटपुट डिवाइस है। इसकी मदद से हम किसी भी डॉक्यूमेंट को कागज पर प्रिंट कर सकते हैं।

प्रिंटर का वर्गीकरण –

प्रिंट क्षमता में आधार पर –

  1. कैरेक्टर प्रिंटर
  2. लाइन प्रिंटर
  3. पेज प्रिंटर

प्रिंट करने के तरीके के आधार पर –

  1. इम्पैक्ट प्रिंटर
  2. नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर
  3. डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर
  4. डेजी व्हील प्रिंटर
  5. थर्मल प्रिंटर
  6. इंकजेट प्रिंटर
  7. लेज़र प्रिंटर

1. कैरेक्टर प्रिंटर (Character Printer) : यह एक बार में एक कैरेक्टर प्रिंट करता है।

2. लाइन प्रिंटर (Line Printer) : यह एक बार के एक पूरी लाइन प्रिंट करता है।

3. पेज प्रिंटर (Page Printer) : यह एक बार के एक पूरा पेज प्रिंट करता है।

4. इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer) : यह टाइपराइटर की तरह पेपर और इंक रिबन पर दबाव डाल कर प्रिंट करता है।

5. डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer) : यह धीमी गति का इम्पैक्ट प्रिंटर है जो एक बार में एक कैरेक्टर प्रिंट करता है। इसमें एक प्रिंट हेड होता है जो बाएं से दांये तथा दांये से बाएं घूमता है इस प्रिंटर की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है।

6. नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर (Non-Impact Printer) : इसमें रिबन नहीं रहता है तथा विद्युत और रासायनिक विधि से स्याही का छिड़काव कर प्रिंट प्राप्त किया जाता है। इसके द्वारा कॉर्बन कॉपी नहीं प्राप्त की जा सकती।

7. इंक जेट प्रिंटर (Inkjet Printer) : यह नॉन-इम्पैक्ट कैरेक्टर प्रिंटर है जिसमे स्याही की बॉटल रखी होती है। इसमें एक प्रिंट हेड होता है जिसमे 64 छोटे जेट नोज़ल होते हैं। विद्युतीय क्षेत्र के प्रभाव द्वारा स्याही की बूंदों को कागज पर जेट की सहायता से छोड़ा जाता है जिससे मनचाहे कैरेक्टर और आकृति प्राप्त की जा सकती है। इसकी गुणवत्ता अच्छी होती है।

8. लेज़र प्रिंटर (Laser Printer) : यह उच्च गति वाला पेज प्रिंटर है इसमें लेज़र बीम , प्रकाशीय ड्रम (Photo Conductive Drum) तथा आवेशित स्याही टोनर का प्रयोग होता है।

 3. प्लॉटर (Plotter)

Plotter

यह भी एक आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग बड़े कागज पर उच्च गुणवत्ता वाले रेखाचित्र व ग्राफ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग मुख्यतः इंजीनियरिंग , वास्तुविद , सिटी प्लानिंग , मानचित्र आदि में किया  है।

प्लॉटर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं –

  1. ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter)
  2. समतल प्लॉटर (Flatbed Plotter)

4. स्पीकर (Speaker)

Speaker

यह एक आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग मल्टीमीडिया के साथ किया जाता है जो ध्वनि के रूप में आउटपुट की सॉफ्ट कॉपी प्रस्तुत करता है। इसके लिए CPU में साउंड कार्ड का होना जरुरी है।

5. स्क्रीन प्रोजेक्टर (Screen Projector)

यह कम्प्यूटर स्क्रीन पर होने वाली घटनाओं और चित्रों तथा सूचनाओं को बड़े पर्दे पर दिखाता है ताकि इसे लोगों के समूह द्वारा देखा जा सके। इसका उपयोग मल्टीमीडिया प्रेजेंटेशन (Multimedia Presentation) के लिए किया जाता है। 

हमें उम्मीद है की हमारी यह जानकारी इनपुट और आउटपुट डिवाइस क्या हैं? आपके लिए उपयोगी साबित होगी।

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