ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ? , यह कैसे काम करता है , ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार , कुछ लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में विस्तार से जानेंगे। नमस्कार दोस्तों ! आप सभी का एक बार फिर स्वागत है हमारे ब्लॉग sparkhindi.com में। आज हम आपको अपने इस हिंदी ब्लॉग ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ? में जानेंगे 

आइये जानते है की ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?

ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)

ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्रामों का वह समूह है जो कम्प्यूटर सिस्टम तथा उसके विभिन्न संसाधनों के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा हार्डवेयर , आप्लिकेशन सॉफ्टवेयर तथा उपयोगकर्ता  के बीच सम्बन्ध स्थापित करता है। यह विभिन्न आप्लिकेशन प्रोग्राम के बीच समन्वय भी स्थापित करता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्य हैं –

  1. कम्प्यूटर चालू किये जाने पर सॉफ्टवेयर को द्वितीयक मेमोरी से लेकर प्राथमिक मेमोरी में डालना।
  2. हार्डवेयर एवं उपयोगकर्ता के बीच सम्बन्ध स्थापित करना।
  3. हार्डवेयर संसाधनों का नियंत्रण तथा बेहतर उपयोग करना।
  4. अप्लीकेशन प्रोग्राम का क्रियान्वयन करना।
  5. मेमोरी और फाइल प्रबंधन करना।
  6. हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से सम्बंधित कम्प्यूटर के विभिन्न दोषों को इंगित करना।

कुछ प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण –

  1. माइक्रोसॉफ्ट डॉस (MS-DOS)

2. विण्डोज़ 95 , 98 ,2000 , ME , XP , windows Vista आदि।

3. UNIX , LINUX , XENIX आदि।

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ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार –

 1. बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम – 

यह ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर के साथ सीधे इंटरैक्ट नहीं करता है। इसमें एक ही प्रकृति के कार्यो को एक बैच के रूप में संगठित कर समूह में क्रियान्वित किया जाता है। इसके लिए बैच मॉनीटर सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है।

इस सिस्टम का लाभ यह है की प्रोग्राम के क्रियान्वन के लिए कम्प्यूटर के सभी संसाधन उपलब्ध रहते हैं , अतः समय प्रबंधन की आवश्यक नहीं पढ़ती है।

उपयोग – इस  सिस्टम का प्रयोग ऐसे कार्यों के लिए किया जाता है जिनमे मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है।

जैसे – सांख्यिकीय विश्लेषण(Statistical Analysis) , बिल प्रिंट करना , पेरोल बनाना (Payroll) आदि।

2. मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम – 

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई कार्य क्रियान्वित किये जा सकते हैं। इसके लिए विशेष हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर कि आवश्यकता होती है। इसमें कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी का आकार बड़ा होना चाहिए ताकि मुख्य मेमोरी का कुछ हिस्सा प्रत्येक प्रोग्राम के लिए आवंटित किया जा सके। इसमें प्रोग्राम क्रियान्वन का क्रम तथा वरीयता निर्धारित करने की व्यवस्था भी होनी चाहिए।

3. टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम – 

इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई उपयोगकर्ता जिन्हे टर्मिनल (Terminal) भी कहते हैं, इंटरेक्टिव मोड में कार्य करते हैं। जिसमे प्रोग्राम के क्रियान्वयन के बाद प्राप्त परिणाम को तुरंत दर्शाया जाता है। प्रत्येक उपयोगकर्ता को संसाधनों के उपयोग के लिए कुछ समय दिया जाता है जिसे टाइम स्लाइस (Time Slice) या कवांटम कहते हैं। इनपुट देने और आउटपुट प्राप्त करने के बीच के समय को टर्न अराउंड समय (Turn Around Time) कहा जाता है।

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इस ऑपरेटिंग सिस्टम में मेमोरी का सही प्रबंधन आवश्यक होता है क्योकि कई प्रोग्राम एक साथ मुख्य मेमोरी में उपस्थित होते हैं। इस व्यवस्था में पूरे प्रोग्राम को मुख्य मेमोरी में न रखकर प्रोग्राम क्रियान्वयन केलिए आवश्यक हिस्सा ही मुख्य मेमोरी में लाया जाता है। इस क्रिया को स्वैपिंग (Swapping) कहते हैं।

4. रीयल टाइम सिस्टम –

इस ऑपरेटिंग सिस्टम में निर्धारित समय में परिणाम देने को महत्त्व दिया जाता है। इसमें एक प्रोग्राम के परिणाम का दूसरे प्रोग्राम में इनपुट डाटा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। पहले प्रोग्राम के क्रियान्वयन में देरी से दूसरे प्रोग्राम का क्रियान्वयन और परिणाम रुक सकता है अतः इस व्यवस्था में प्रोग्राम के क्रियान्वयन समय को तीव्र रखा जाता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग उपग्रहों के संचालन ,हवाई जहाज के नियंत्रण , परमाणु भट्टी , वैज्ञानिक अनुसन्धान , रक्षा , चिकित्सा , रेलवे आरक्षण आदि में किया जाता है।

मल्टी टास्किंग सिस्टम (Multi tasking system)

इस प्रकार के सिस्टम में प्रोसेसर द्वारा एक साथ कई कार्य सम्पादित किये जाते हैं। इसमें प्रोसेसर अपना कुछ समय सभी चालू प्रोग्रामों को देता है तथा सभी प्रोग्राम साथ-साथ सम्पादित होते हैं।

मल्टी प्रोसेसिंग सिस्टम (Multi processing system)

इसमें एक साथ दो या दो से अधिक प्रोसेसर को आपस में जोड़ कर उनका उपयोग किया जाता है इससे कार्य सम्पादित करने की गति में वृद्धि होती है। इसमें एक साथ दो अलग-अलग प्रोग्राम या एक प्रोग्राम के भाग क्रियान्वित किया जा सकता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं (कार्य)  –

इसकी विशेषताएं निम्न हैं :-

मेमोरी प्रबंधन (Memory Management) – OS मेमोरी को मैनेज करता है , यह primary memory की पूरी जानकारी रखता है।

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प्रोसेसर प्रबंधन (Processor Management) – यह प्रोग्राम को प्रोसेसर (CPU) allocate करता है हुए जब किसी प्रोग्राम को CPU की जरुरत ख़त्म हो जाती है तो उसे deallocate भी करता है।

डिवाइस प्रबंधन (Device Management) – OS सभी डिवाइस की जानकारी रखता है इसे इनपुट आउटपुट Controller भी कहते हैं।

OS यह भी निर्धारित करता है की किस प्रोग्राम को कौन सी डिवाइस दी जाये।

फाइल मैनेजमेंट (File Management) – यह resources को allocate तथा deallocate करता है तथा यह निर्णय लेता है।

किस प्रोग्राम को resources दी जाएं अर्थात allocate की जाये।

ऑपरेटिंग सिस्टम के लाभ (Advantage of operating system in hindi)

इसके निम्नलिखित लाभ हैं –

  • इसे आसानी से use किया जा सकता है।
  • इसके द्वारा हम एक डाटा को बहुत सारे users के साथ share कर सकते हैं।
  • इन्हें आसानी से अपडेट किया जा सकता है।
  • यह सुरक्षित होता है। जो किसी भी प्रकार की हानिकारक फाइल को detact कर लेता है और उसे remove कर देता है।
  • कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम फ्री होते है जबकि कुछ फ्री नहीं होते हैं।
  • इसकी सहायता से हम किसी भी कार्य को कम्प्यूटर में आसानी से कर सकते हैं।

कुछ प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम – MS-DOS , Microsoft Windows , Microsoft Windows NT , UNIX , LINUX आदि।

हमें उम्मीद है की हमारी यह जानकारी आप के लिए काफी उपयोगी साबित होगी।

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