कम्प्यूटर की कार्य पद्धति : नमस्कार दोस्तों !आपका एक बार फिर से स्वागत है।आज के इस आर्टिकल में हम कम्प्यूटर की कार्य पद्धति के बारे में जानेंगे। कम्प्यूटर की कार्य पद्धति में किसी भी कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए दो चीजों की जरुरत होती है –
- हार्डवेयर(Hardware)
- सॉफ्टवेयर(Software)
तो आइये शुरू करते है और जानते हैं कम्प्यूटर की कार्य पद्धति के बारे में – कम्प्यूटर की कार्य पद्धति को आमतौर पर पांच भागों में बांटा गया है जो हर प्रकार से कम्प्यूटर(Computer) के लिए आवश्यक हैं।

कम्प्यूटर की कार्य पद्धति
- इनपुट (input) : इसका कार्य डाटा और निर्देशों को कम्प्यूटर में डालना या इनपुट करना होता है।
- आउटपुट (Output) : इसका कार्य आवश्यक सूचना को उपयोग हेतु मॉनीटर पर प्रस्तुत करना होता है।
- भंडारण (Store) : डाटा तथा अनुदेशों का भंडारण करना ताकि आवश्यकतानुसार उनका उपयोग किया जा सके।
- प्रोसेसिंग (Processing) : डाटा पर अनुदेशों के अनुसार , अंकगणितीय और तार्किक गणनाएं कर उसे सूचना में बदलना इसका कार्य होता है।
- कंट्रोल (Control) : विभिन्न प्रक्रियाओं में प्रयुक्त उपकरणों और सूचनाओं के बीच तालमेल स्थापित करना।
कम्प्यूटर की कार्य पद्धति
कम्प्यूटर के मुख्य भाग (Main Parts of Computer) :
कम्प्यूटर की आतंरिक संरचना विभिन्न कम्प्यूटरो में अलग – अलग हो सकती है, पर कार्य प्रणाली के आधार पर उन्हें चार मुख्य भागों में बांटा जा सकता है –
- इनपुट यूनिट (Input Unit)
- भंडारण यूनिट या मेमोरी (Memory)
- सिस्टम यूनिट (System Unit) – ( Control Unit , Arithmetic Logic Unit , Primary or Main Memory)
- आउटपुट यूनिट (Output Unit)
आइये अब कम्प्यूटर को सुचारु रूप से कार्य करने के लिए प्रयोग होने वाले विभिन्न डिवाइस के बारे में जानते हैं।
1. इनपुट डिवाइस (Input Device)
डाटा , प्रोग्राम , अनुदेशों और निर्देशों को कम्प्यूटर में डालने के लिए प्रयोग की जाने वाली युक्ति इनपुट डिवाइस कहलाती है। चूकिं कम्प्यूटर केवल बाइनरी संकेतों (0 और 1) को समझ सकता है , अतः सभी इनपुट डिवाइस इनपुट इंटरफ़ेस (Input Interface) की मदद से उसे बाइनरी संकेत में बदलते हैं। इनपुट डिवाइस के कार्य इस प्रकार हैं –
- डाटा , अनुदेशों तथा प्रोग्राम को स्वीकार करना
- उन्हें बाइनरी कोड में बदलना
- बदले हुए कोड को कम्प्यूटर सिस्टम (CPU) को देना
इनपुट डिवाइस के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं – की-बोर्ड , माउस , जॉयस्टिक , लाइट पेन , स्कैनर , बार कोड रीडर , माइकर आदि।
2. भंडारण यूनिट या मेमोरी (Storage unit or Memory)
डाटा और अनुदेशों को प्रोसेस करने से पहले मेमोरी में रखा जाता है। प्रोसेस द्वारा प्राप्त अंतिम परिणामों को भी मेमोरी में सुरक्षित करके रखा जाता है। ताकि जरुरत पड़ने पर उनका दोबारा उपयोग किया जा सकें। इस प्रकार में मेमोरी सुरक्षित रखता है –
- प्रोसेस के लिए दिए गए डाटा व अनुदेशों को
- अंतरिम परिणामों को
- अंतिम परिणामो को
मेमोरी को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है –
i. प्राथमिक या मुख्य मेमोरी (Primary or Main Memory)
यह कम्प्यूटर सिस्टम यूनिट के अंदर स्थित इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी है इसकी स्मृति क्षमता कम जबकि गति तीव्र होती है। इसमें अस्थायी निर्देशों और तात्कालिक परिणामों को संग्रहित किया जाता है। यह अस्थायी (Volatile) मेमोरी है। कम्प्यूटर को ऑफ कर देने पर इसमें संग्रहित सूचना भी समाप्त हो जाती है। RAM(रैम) एक प्रकार की अस्थायी मेमोरी है।
ii. द्वितीयक या सहायक मेमोरी (Secondary or Auxiliary Memory)
यह मुख्यतः चुम्बकीय डिस्क या ऑप्टिकल डिस्क (Magnetic disk or Optical disk) होता है इसमें बड़ी मात्रा में सूचनाओं को स्थायी रूप से संग्रहित किया जा सकता है। यह स्थायी (Non Volatile) मेमोरी होती है इसमें सूचनाएं हमेशा के लिए संग्रहित होती हैं तथा कम्प्यूटर के ऑफ होने के बाद भी सूचनाओं का ह्रास नहीं होता है। ROM(रोम) एक प्रकार की स्थायी मेमोरी है।
3. सिस्टम यूनिट (System Unit)
सिस्टम यूनिट को CPU – Central Processing Unit भी कहा जाता है। इसे कम्प्यूटर का हृदय या मस्तिष्क (Brain of Computer) भी कहा जाता है। इसमें एक इलेक्ट्रॉनिक चिप होती है जिसे प्रोसेसर(Processor) कहा जाता है। यह कंट्रोल यूनिट , एरिथमेटिक लॉजिक यूनिट तथा प्राथमिक मेमोरी से मिल कर बना होता है। सभी प्रकार के प्रोसेसिंग कार्य CPU में ही सम्पन्न किये जाते हैं। CPU के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं –
- विभिन्न प्रक्रियाओं के क्रम को निर्धारित करना।
- कम्प्यूटर के विभिन्न युक्तियों को नियंत्रित करना।
- डाटा का प्रोसेसिंग करना।
- प्रोसेस से प्राप्त परिणाम को कम्प्यूटर स्क्रीन पर भेजना।
सिस्टम यूनिट निम्नलिखित प्रकार के होतें हैं –
i. कंट्रोल यूनिट (Control Unit)
यह कम्प्यूटर का नाड़ी तंत्र कहलाता है। इसमें माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processor) लगा होता है। इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं।
- यह इनपुट और आउटपुट तथा अन्य हार्डवेयर को नियंत्रित करता है।
- अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट के कार्यों को नियंत्रित करता है।
- मुख्य मेमोरी से डाटा लाना और उन्हें तात्कालिक रूप में स्टोर करना।
- निर्देशों को पढ़ना तथा उन्हें क्रियान्वित करने के आदेश देना।
कुछ प्रमुख माइक्रो प्रोसेसर या CPU चिप इस प्रकार हैं –
- पेंटियम (Pentium) , पेंटियम प्रो (Pentium Pro) , पेंटियम-III (Pentium-III) , पेंटियम-IV (Pentium-IV)
- AMD Athlon , AMD Duron , AMD Ryzen
- Intel Celeron , Intel Core , Intel Dual Core , Intel Core 2 Duo , Intel I3 , I5 , I7 , I9
ii. अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (Arithmatic Logic Unit – ALU )
इसका कार्य मूलभूत अंकगणितीय गणनाएं जैसे – जोड़ , घटाव , गुणा , भाग करना तथा कुछ लॉजिकल कार्य जैसे – बराबर है , बराबर नहीं है , कम है , अधिक है आदि को सम्पादित करना है। यह कण्ट्रोल यूनिट से प्राप्त निर्देशों के अनुसार कार्य करता है।
4. आउटपुट डिवाइस (Output Device)
यह कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेस किये गए परिणामों को प्राप्त करने या देखने के लिए प्रयोग किया जाता है। चूँकि कम्प्यूटर से प्राप्त परिणाम बाइनरी संकेतों में होंते हैं , अतः उन्हें आउटपुट इंटरफ़ेस (Output Interface) द्वारा सामान्य संकेतों में परिवर्तित किया जाता है। आउटपुट डिवाइस के कार्य निम्नलिखित हैं –
- CPU से परिणाम प्राप्त करना।
- प्राप्त परिणामो को मानव द्वारा समझे जा सकने वाले संकेतो में बदलना।
- प्राप्त परिणाम को मॉनिटर स्क्रीन पर प्रदर्शित करना।
आउटपुट डिवाइस के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं – मॉनीटर , प्रिंटर , प्लाटर , स्पीकर , प्रोजेक्टर , कार्ड रीडर आदि।
हमें उम्मीद है हमारी यह जानकारी कम्प्यूटर की कार्य पद्धति आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
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