सॉफ्टवेयर क्या है?(What is Software in Hindi)

सॉफ्टवेयर क्या है?(What is Software in Hindi), हम जानते हैं की कम्प्यूटर , मोबाइल या अन्य कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस अपना काम अकेले नहीं कर सकता है उसको कार्य करने के लिए कुछ विशेष उपकरणों एवं प्रोग्रामो की जरुरत होती है , जिन्हें हम सॉफ्टवेयर कहते हैं। नमस्कार दोस्तों ! आप सभी का एक बार फिर स्वागत है हमारे लेख में। तो इस लेख में आज आप जानेंगे की सॉफ्टवेयर क्या है?(What is Software in Hindi) , सॉफ्टवेयर के प्रकार , इसकी विशेषताएं , इनका उपयोग। तो आइये जानते हैं की सॉफ्टवेयर क्या है?(What is Software in Hindi)

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सॉफ्टवेयर क्या है?(What is Software in Hindi)

सॉफ्टवेयर क्या है?

 

कम्प्यूटर पर किसी विशेष कार्य को करने के लिए हमे सॉफ्टवेयर की जरुरत होती है जिसकी सहायता से हम उस काम को आसानी से कर सकते हैं। सॉफ्टवेयर , प्रोग्रामों नियमो व क्रियाओं का वह समूह है जो सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कम्प्यूटर के विभिन्न हार्डवेयर के बीच समन्वय स्थापित करता है , ताकि किसी विशेष कार्य को पूरा किया जा सके।

सॉफ्टवेयर के प्रकार (Types of Software)

कम्प्यूटर का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है इन विभिन्न कार्यो के लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है , जो जरुरत के हिसाब से बनाये जाते हैं।

सॉफ्टवेयर को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है –

  1. सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
  2. अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software)
  3. यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Software)

1. सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)

यह  ऐसे प्रोग्रामो का समूह होता है जिनको कम्प्यूटर सिस्टम के मूलभूत कार्यों को सम्पन्न करने तथा उन्हें कार्य करने के लायक बनाए रखने के लिए तैयार किया जाता है। यह कम्प्यूटर तथा उपयोगकर्ता के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर एक बेजान मशीन मात्र है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर के प्रमुख कार्य –

  1. यह अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के लिए पृष्ठ भूमि तैयार करता है।
  2. विभिन्न हार्डवेयर संसाधनों का महत्तम उपयोग सुनिश्चित करना।
  3. पेरिफेरल डिवाइसों का समन्वय तथा नियंत्रण करना।

उदाहरण :- डॉस (DOS) , विंडोज (Windows) , यूनिक्स (Unix) आदि।

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सिस्टम सॉफ्टवेयर को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है –

  1. ऑपरेटिंग  सिस्टम (Operating System)
  2. लैंग्वेज ट्रांसलेटर (Language Translator)

1. ऑपरेटिंग सिस्टम –

यह प्रोग्रामो का वह समूह है जो कम्प्यूटर तथा  विभिन्न संसाधनों के कार्यो को नियंत्रित करता है तथा कम्प्यूटर तथा उपयोगकर्ता के बीच सम्बन्ध स्थापित करता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में विस्तार से जाने 

2. लैंग्वेज ट्रांसलेटर (Language Translator)

लैंग्वेज ट्रांसलेटर उच्च स्तरीय भाषा में लिखे प्रोग्रामों को मशीन भाषा में बदलता है क्योंकि कम्प्यूटर सिर्फ मशीनी भाषा (0 या 1)  समझ सकता है पर मशीनी भाषा में प्रोग्राम लिखना एक कठिन कार्य है। अतः प्रोग्रामों को कम्प्यूटर द्वारा समझने लायक बनाने के लिए लैंग्वेज ट्रांसलेटर का उपयोग किया जाता है।

लैंग्वेज ट्रांसलेटर तीन प्रकार के होते हैं

1. असेम्बलर (Assembler) 

यह क्रियान्वयन से पहले असेंबली भाषा या निम्न स्तरीय भाषा ( Low Level Language) को मशीन भाषा में परिवर्तित करता है। यह मशीन भाषा को एक स्थान पर इकट्ठा करता है तथा क्रियान्वयन के लिए तैयार करता है।

2. कम्पाइलर (Compiler)

यह उच्च स्तरीय भाषा को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है। यह पूरे प्रोग्राम को एक ही बार में अनुवादित करता है तथा प्रोग्राम की सभी गलतियों को उनके लाइन क्रम में एक साथ सूचित करता है। जब सभी गलतियां दूर हो जाती हैं तो प्रोग्राम सम्पादित हो जाता है।

प्रत्येक भाषा के लिए कम्पाइलर सॉफ्टवेयर अलग – अलग होता है।

3. इंटरप्रेटर (Interpreter)

यह कम्पाइलर की तरह ही उच्च स्तरीय भाषा को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है।

यह सोर्स प्रोग्राम के एक लाइन का मशीन भाषा में अनुवाद करता है तथा दूसरी लाइन का अनुवाद करने से पहले पिछली लाइन को प्रोसेस करता है। यदि इस लाइन में कोई गलती हो तो उसे समय इंगित करता है तथा संशोधन  के बाद आगे बढ़ता है। हर बार प्रोग्राम को संपादन के दौरान इंटरप्रेटर से होकर गुजरना पड़ता है।

2. अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software)

यह उन प्रोग्रामों का समूह है जिन्हें किसी विशिष्ट कार्य के लिए तैयार किया जाता है।

किसी संस्थान , व्यक्ति तथा कार्य को देख कर आवश्यकता अनुसार इन सॉफ्टवेयर का विकास किया जाता है।

उपयोग के आधार पर अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को दो भागो में बांटा गया है।

(a) विशेषीकृत अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Customised Application Software)

यह उपयोगकर्ता की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर बनाया जाता है। किसी और के लिए इसकी उपयोगिता नहीं है।

उदाहरण :- रेलवे आरक्षण के लिए तैयार सॉफ्टवेयर , वायुयान नियंत्रण के लिए तैयार सॉफ्टवेयर , मौसम विश्लेषण के लिए तैयार सॉफ्टवेयर आदि।

(b) सामान्य अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (General Application Software)

इसे विशेष आवश्यकता के लिए बनाया जाता है पर अनेक उपयोगकर्ता इससे लाभ उठा सकते हैं।

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सामान्य अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के कुछ उदाहरण –

(i) वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर (Word Processing Software)

इसमें कम्प्यूटर उपयोग से दस्तावेज (पत्र , रिपोर्ट , पुस्तकें) का निर्माण , संशोधन , रूप और आकार में परिवर्तन , व्याकरण और स्पैलिंग चेक करना , प्रिन्ट आदि कार्य कर सकते हैं। यह सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर को टाइपराइटर का विकल्प बनाने के अलावा और अन्य सुविधाएं भी देता है।

कुछ वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर के उदाहरण –

वर्ड स्टार , वर्ड पैड , एमएस-वर्ड , के-वर्ड , एबी-वर्ड , ओपन राइटर , स्टार राइटर आदि।

(ii) स्प्रेड शीट सॉफ्टवेयर (Spreadsheet Software)

यह मुख्यतः सांख्यकीय डाटा को टेबल अर्थात रो और कॉलम (Rows and Columns) के रूप में वर्गीकृत और विश्लेषित करने वाला सॉफ्टवेयर होता है। इस सॉफ्टवेयर में ग्राफ और चार्ट बनाने की भी सुविधा होती है। इसका प्रयोग मुख्यतः बैंकों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में लेजर (Ledger) बनाने में किया जाता है।

कुछ प्रमुख स्प्रेडशीट सॉफ्टवेयर के उदाहरण –

एमएस डॉस                  →  लोटस 1-2-3 (Lotus)

एमएस विंडोज              →  एमएस-एक्सेल (MS – Excel)

लाइनक्स                      →   के- स्प्रैड (K- Spread) , ओपन कैल्क (Open Calc) , स्टार कैल्क (Star Calc)


                                                                                  क्या आप जानते हैं ?

माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस एक अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है जो विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम पर कार्य करता है। यह MS -Word , MS-Excel , MS-Power Point , MS-Access के पैकेज के रूप में आता है।


(iii) डाटा बेस सॉफ्टवेयर (Data Base Software)

इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग डाटा को स्टोर करने , उसका संशोधन तथा उसका वर्गीकरण करने में किया जाता है।

डाटा बेस सॉफ्टवेयर के कुछ उदाहरण –

एमएस डॉस            →  डी-बेस-III

विण्डोज                  →  एमएस-एक्सेल , स्टार बेस

(iv) प्रेजेंटेशन सॉफ्टवेयर (Presentation Software)

इस सॉफ्टवेयर की मदद से प्रेजेंटेशन बनाया जाता है। इसके द्वारा सम्मेलन , बैठक , गोष्ठी आदि में सूचनाओं का प्रस्तुतिकरण किया जाता है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं –

विण्डोज          → पावर प्वाइंट

लाइनक्स        → के-प्रेज़ेंटर , स्टार इम्प्रेस

(v) एकाउंटिंग पैकेज (Accounting Package)

इसके द्वारा विभिन्न वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting) , व्यापारिक लेनदेन तथा सामान प्रबंधन को सरल बनाया जाता है तथा उस डाटा को सेव करके रखा जा सकता है।

टैली (Tally) भारत में बना एक लोकप्रिय एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर है।

(vi) डेस्कटॉप पब्लिशिंग (DTP- Desk Top Publishing)

DTP का उपयोग किसी विज्ञापन के लिए पोस्टर बनाने , बैनर बनाने तथा प्रकाशन के कार्य में किया जाता है।

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कुछ लोकप्रिय DTP सॉफ्टवेयर हैं –

माइक्रोसॉफ्ट पब्लिशर (MS-Publisher) , पेजमेकर (Page Maker) , कोरल ड्रा (Corel Draw) आदि।

(vii) कैड सॉफ्टवेयर (CAD-Computer Aided Design software)

यह एक प्रकार का  डिज़ाइन सॉफ्टवेयर होता है इसमें कम्प्यूटर द्वारा इंजीनियरिंग और वैज्ञानिक डिज़ाइन तैयार करने उसमे संशोधन करने तथा निर्माण की प्रक्रिया समझाने का कार्य किया जाता है।

(3) यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software)

यह कम्प्यूटर के कार्य को सरल बनाने , उसे अशुद्धियों से दूर रखने तथा सिस्टम के विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए बनाया गया सॉफ्टवेयर है। इसका उपयोग कई अप्लीकेशन सॉफ़्टवेयरों में किया जाता है।

यूटिलिटी सॉफ्टवेयर के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं –

  1. डिस्क फॉर्मेटिंग
  2. डिस्क क्लीन अप
  3. बैकअप प्रोग्राम
  4. एंटीवायरस यूटिलिटी प्रोग्राम
  5. डिस्क फ्रेगमेंटेशन

सॉफ्टवेयर से जुड़े कुछ प्रश्न एवं उनके उत्तर –


(1) पब्लिक डोमेन सॉफ्टवेयर किसे कहते हैं ?

ऐसे सॉफ्टवेयर जो उपयोग के लिए मुफ्त में उपलब्ध होते हैं , पब्लिक डोमेन सॉफ्टवेयर कहलाते हैं। इन्हें शेयरवेयर (shareware) या फ्रीवेयर (Freeware) भी कहा जाता है। इन्हे इंटरनेट से मुफ्त में प्राप्त किया जा सकता है।

(2) ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर किसे कहते हैं ?

यह मुफ्त में उपलब्ध पब्लिक डोमेन सॉफ्टवेयर होते हैं जिसमे सॉफ्टवेयर का सोर्स कोड (Source Code) भी मुफ्त में उपलब्ध होता है। उपयोगकर्ता आवश्यकतानुसार कोड में परिवर्तन भी कर सकता है।

(3) टेस्टिंग व डीबगिंग क्या होता है ?

कम्प्यूटर प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर में पायी जाने वाली त्रुटियों को बग्स (Bugs) कहा जाता है। इन त्रुटियों को ढूंढने व उसमे सुधार करने की प्रक्रिया डीबगिंग (Debugging) कहलाती है। इस कार्य के लिए तैयार किये गए सॉफ्टवेयर को डीबगर कहा जाता है। कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखे जाने के बाद उसे क्रियान्वित करके यह सुनिश्चित किया जाता है की सॉफ्टवेयर अपना निर्धारित कार्य कर रहा है की नहीं। इस प्रक्रिया को टेस्टिंग (Testing) कहते हैं।

(4) बायोस (BIOS-Basic Input Output System) क्या होता है ?

यह एक सॉफ्टवेयर है जिसे मदरबोर्ड में बने स्थायी रोम चिप में रखा जाता है इसमें उपयोगकर्ता द्वारा परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। जैसे ही कम्प्यूटर ऑन किया जाता है ,बायोस पासवर्ड तथा हार्डवेयर की जाँच करता है तथा ऑपरेटिंग सिस्टम को चालू  करता है। इस तरह , यह हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर के बीच सम्बन्ध स्थापित करता है।

(5) बूटिंग (Booting) क्या होता है ?

कम्प्यूटर ऑन किये जाने पर बायोस स्वतः ही ऑपरेटिंग सिस्टम की पहचान कर उसे द्वितीयक मेमोरी से प्राथमिक या मुख्य मेमोरी (रैम) में डालता है तथा सॉफ्टवेयर को उपयोग के लायक बनाता है इसे बूटिंग या बूटस्ट्रैप (Boot Strap) कहा जाता है।


हमें उम्मीद है की हमारी यह जानकारी सॉफ्टवेयर क्या है?, आपके लिए उपयोगी साबित होगी।

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