What is Internet?

आप सभी के मन में कभी न कभी ये बात जरूर आयी होगी की What is Internet? इसका विकास कैसे हुआ , इंटरनेट का मालिक कौन है ? , इंटरनेट का  महत्त्व है । तो इन सभी सवालो के जवाब आज हम इस ब्लॉग में जानेंगे।

नमस्कार दोस्तों ! आप सभी का एक बार फिर स्वागत है हमारे ब्लॉग sparkhindi.com में। आज हम आपको अपने इस हिंदी ब्लॉग में What is Internet? , इंटरनेट का विकास , इंटरनेट का महत्त्व , इंटरनेट का मालिक कौन है तथा इंटरनेट के उपयोग 

तो आइए सबसे पहले जानते हैं की What is Internet?

What is Internet? 

What is Internet?
What is Internet?

यह इंटरनेशनल नेटवर्किंग (International Networking) का ही संक्षिप्त रूप है। आसान भाषा में कहें तो नेटवर्कों के नेटवर्क को ही इंटरनेट कहते हैं। 

यह दुनिया भर में फैले छोटे – बड़े कम्प्यूटरो का विशाल व विश्वव्यापी जाल (Global Network) है , जो विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा समान नियमों का अनुपालन कर एक दूसरें से सम्पर्क स्थापित करते हैं तथा सूचनाओं का आदान प्रदान सम्भव बनाते हैं। यह नेटवर्को का नेटवर्क है। यह संसार का सबसे बड़ा नेटवर्क है। इंटरनेट से जुड़ा हर कम्प्यूटर एक सर्वर से जुड़ा होता है संसार के सभी सर्वर विभिन्न माध्यमों द्वारा आपस में जुड़े होते हैं।

इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) 

किसी कम्प्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए हमें इंटरनेट सेवा प्रदाता (internet service provider) की सेवा लेनी पड़ती है।

टेलीफ़ोन लाइन या वायरलेस तकनीक द्वारा कम्प्यूटर को इंटरनेट सेवा प्रदाता के सर्वर से जोड़ा जाता है।

इसके लिए हमें इंटरनेट सेवा प्रदाता को कुछ शुल्क भी देना पड़ता है।

वर्ड वाइड वेब के विकास तथा TCP/IP के द्विस्तरीय नियमों के परिपालन ने इंटरनेट को नया आयाम दिया।

वर्तमान में इंटरनेट पर उपलब्ध प्रमुख सुविधाएं 

वर्ड वाइड वेब (www) , E-mail , Social Networking Site , Internet Protocol TV – IPTv , e-commerce , Chatting , Video Confrencing , Online Shopping आदि।

इंटरनेट का विकास (Development Of Internet)

इंटरनेट के विकास का विचार सर्वप्रथम 1962 में प्रो जे सी लिक्लाइडर ने दिया था। ऐसी कारण इन्हें इंटरनेट का जनक कहा जाता है। इंटरनेट का प्रारंभ 1969 में अमेरिका रक्षा विभाग द्वारा ARPANET (Advance Research Project Agency Net) के विकास से किया गया है। ARPANET को दुनिया का पहला इंटरनेट कहा जाता है। 1989 में इंटरनेट को आम जनता के लिए खोल दिए जाने से इसका प्रयोग अन्य प्रयोजनों के लिए किया जाने लगा तथा इसके क्षेत्र में व्यापक वृद्धि हुई। 1990 में टिम बर्नर ली द्वारा वर्ल्ड वाइड वेब (www ) के अविष्कार ने इंटरनेट को नया आयाम प्रदान किया।

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1993 में पहले ग्राफिकल वेब ब्राउज़र मोजाइक (MOSAIC) सॉफ्टवेयर के अविष्कार ने इंटरनेट के विकास में सराहनीय योगदान दिया। इंटरनेट में पैकेट स्विचिंग का प्रयोग किया जाता है जिसमे विभिन्न सूचनाओं को बंडल बनाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जाता है। इंटरनेट सूचना तंत्र वस्तुतः किसी व्यक्ति या संस्थान से परे है। इंटरनेट पर अनेक संस्थानों , निगमों , सरकारी उपक्रमों , शिक्षण संस्थानों तथा विभिन्न सेवा प्रदाता (Service Providers) का थोड़ा – थोड़ा स्वामित्व  माना जा सकता है। इंटरनेट के कार्य – प्रणाली की देख -रेख करने तथा उनके अंतराष्ट्रीय मानक निर्धारित करने का कार्य कुछ अंतराष्ट्रीय संस्थाए करती है जो इंटरनेट पर IP Address तथा Domain Name प्रदान करने का कार्य करती हैं।

कुछ प्रमुख अंतराष्टीय संस्थाएं –

  1. National Science Foundation – इंटरनेट के तकनिकी मानकों का निर्धारण करता है।
  2. ICANN (Internet Corporation for Assigned Name & Numbers) – IP Address तथा Domain Name System का मानक निर्धारित करता है।
  3. Internet Engineering Task Force
  4. Internet Architecture Board

भारत में इंटरनेट का विकास –

भारत में जनसामान्य के लिए इंटरनेट सेवा का आरम्भ 15 अगस्त 1995 को विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) द्वारा किया गया था तथा 1999 में संचार क्षेत्र को निजी सेवा प्रदाताओं के लिए खोल दिया गया जिससे भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं में भी भारी वृद्धि हुई। इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली निजी क्षेत्र की पहली कंपनी सत्यम इन्फो वे (Satyam Info Wey – 1998) थी।

इंटरनेट के लिए आवश्यक उपकरण –

  1. PC(Personal Computer) , Mobile , Tablet
  2. मॉडेम (Modem)
  3. संचार माध्यम – टेलीफ़ोन लाइन या विशेषीकृत लाइन या वायरलेस तकनीक।
  4. वेब ब्राउज़र
  5. ISP (Internet Service Provider)

इंटरनेट सेवा प्रदाता को निर्धारित शुल्क देकर हम इंटरनेट का उपयोग अपने कम्प्यूटर , मोबाइल या फिर टैबलेट में कर सकते हैं।

इंटरनेट के तत्व –

1. वेब ब्राउज़र (Web Browser)- वेब ब्राउज़र एक अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होता है जो वर्ल्ड वाइड वेब (www) से सूचना तथा डाटा प्राप्त करने तथा उसे उपयोगकर्ता के कम्प्यूटर पर प्रदर्शित  करने का कार्य करता है इसे वेब सर्च इंजन भी कहा जाता है। वर्ल्ड वाइड वेब वेब से सूचना प्राप्त करने के लिए वेब ब्राउज़र पर URL (Uniform Resource Locator) डाला जाता है।

कुछ प्रचलित वेब ब्राउज़र निम्नलिखित हैं –

  1. Internet Explorer
  2. Mozilla Fire Fox
  3. Safari
  4. Google Chrome
  5. Opera
  6. Microsoft Bing
  7. Microsoft Edge

2. वेब सर्वर (Web Server) – वह कम्प्यूटर जो वेब पेज को भण्डारित करता है तथा नेटवर्क से जुड़े अन्य कम्प्यूटरो के अनुरोध पर उन्हें वेब पेज उपलब्ध कराता है , वेब सर्वर कहलाता है।

3. मॉडेम (Modem) – यह Modulator-Demodulator का संक्षिप्त रूप है। मॉडेम वह युक्ति है जो कम्प्यूटर के डिजिटल संकेतो को एनालॉग संकेतो में बदलकर संचार माध्यम पर भेजता है तथा आने वाले एनालॉग संकेतो को डिजिटल संकेतो में बदल कर कम्प्यूटर के प्रयोग के योग्य बनाता है। मॉडेम दो  प्रकार के होते हैं –

  1. आतंरिक मॉडेम (Internal Modem) – इसे सिस्टम यूनिट के अंदर स्थापित किया जाता है।
  2. बाह्य मॉडेम (External Modem) – इसे सिस्टम यूनिट के बाहर से लगाया जाता है।
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4. डोमेन नेम (Domain name) – इंटरनेट पर प्रत्येक कम्प्यूटर को विशेष नाम दिया जाता है जिसे डोमेन नेम कहते हैं। डोमेन नेम के दो भाग होते हैं –

  1. नाम (Name)
  2. एक्सटेंशन (Extention )

यह नाम कुछ भी हो सकता है पर Extention उपलब्ध विकल्पों में से कोई एक हो सकता है। जैसे – sparkhindi.com में sparkhindi नाम है जबकि .com एक्सटेंशन है।

  • डोमेन नेम में अंक या अक्षर या दोनों हो सकते हैं।
  • इसमें अधिकतम 64 कैरेक्टर हो सकते हैं।
  • इसमें एकमात्र विशेष कैरेक्टर hyphen (-) प्रयोग किया जा सकता है।

कुछ प्रमुख डोमेन नेम एक्सटेंशन इस प्रकार हैं –

  1. .com – Communication (नेटवर्क प्रदाता)
  2. .net – Network
  3. .gov – Government (सरकारी संस्था)
  4. .edu – Education
  5. .org – Organization
  6. .mil – Military
  7. .in – India

5. यूनीफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (Uniform Resource Locator)

यह कम्प्यूटर नेटवर्क की व्यवस्था है जो बताता है की वांछित सूचना कहा उपलब्ध है और कैसे प्राप्त किया जा सकता है। वर्ल्ड वाइड वेब पर किसी भी पेज का एड्रेस ही URL होता है। उदाहरण के लिए www.sparkhindi.com हमारे वेबसाइट का URL है।

URL में शामिल होता है –

  • Protocol का नाम
  • Colon तथा दो slash(://)
  • Host name (IP Address)
  • Domain name

जैसे – https://www.sparkhindi.com

इंटरनेट के उपयोग (Uses of Internet)

1. इलेक्ट्रॉनिक मेल (Electronic Mail)  – इसे ई-मेल या इंटरनेट मेल भी कहा जाता है यह इंटरनेट पर प्रयुक्त सर्वाधिक लोकप्रिय व्यवस्था है  जिसके द्वारा कम खर्च में तीव्र गति से सूचना को भेजा जा सकता है। ई-मेल की तुलना परम्परागत डाक व्यवस्था से की जा सकती है। ई-मेल सन्देश में शब्द , ग्राफ , चित्र , ध्वनि या चलचित्र कुछ  भी हो सकता है। इसमें सन्देश के साथ किसी अन्य फाइल को भी जोड़ा जा सकता है जिसे अटैचमेंट (Attachment) कहा जाता है।

भारत में ई-मेल खाता प्रदान करने वाले प्रमुख वेबसाइट है –

  1. www.google.com
  2. www.yahoomail.com
  3. www.hotmail.com
  4. www.rediffmail.com
  5. www.india.com

2. वीडियो कॉन्फरेंस (Video Conference) – इंटरनेट का उपयोग करके हम वीडियो कॉन्फरेंस कर सकते हैं। यह एक तकनीक है जिसकी सहायता से दो या अधिक दूरस्थ स्थानों पर स्थित व्यक्ति आपस में दृश्य तथा श्रव्य (Audio and Video) संचार स्थापित करते हैं मानो वे एकसाथ बैठे हैं।

3. चैटिंग (Chatting) – इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटर द्वारा दो व्यक्तियों का आपस में बात करना चैटिंग कहलाता है। इसमें दोनों उपयोगकर्ता का कम्प्यूटर पर उपस्थित होना आवश्यक है। यह सुविधा Rediff ,Yahoo तथा Google आदि सर्विस प्रदाताओं द्वारा उपलब्ध करायी जा रही हैं।

4.ब्लॉग (Blog) – यह Web Log का संक्षिप्त रूप है यह किसी व्यक्ति द्वारा संचालित वेबसाइट है जिसमे वह अपने विचार , घटनाएं , चित्र तथा चलचित्र डाल सकता है। इस प्रकार ब्लॉग को व्यक्तिगत ऑनलाइन डायरी कहा जा सकता है। इसे पढ़ने वाला भी इसपर अपने विचार प्रकट कर सकता है जिसे कमैंट्स (Comments) कहा जाता है। इंटरनेट पर स्थित सभी ब्लॉग के समूह को ब्लॉगोस्फीयर (Blogosphere) कहा जाता है।

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How to start a Blog

उपयोग तहा विचार के आधार पर ब्लॉग के कई प्रकार होते हैं। जैसे –

Personal Blog , Art Blog , Photo Blog , Video Blog , Micro Blog आदि।

सोशल नेटवर्किंग साइट (Social Networking Site)

1. फेसबुक (Facebook) – यह एक सोशल नेटवर्किंग साइट है जिसमे इंटरनेट के जरिये दोस्त बनाने तथा उन्हे संदेश भेजने जा कार्य किया जाता है। यह सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट हैं। 13 साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति इसका सदस्य बन सकता है। फेसबुक का सदस्य स्वयं के फोटो तथा अन्य जानकारी के साथ एक वेबपेज तैयार करता है तथा अपने बारे में वर्त्तमान की घटनाओ से अवगत कराता है। फेसबुक का आरम्भ मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) द्वारा किया गया तथा ऐसे Facebook Inc. कम्पनी द्वारा चलाया व नियंत्रित किया जाता है।

2. टवीटर (Twiter) – यह भी सोशल नेटवर्किंग साइट का एक उदाहरण है इसे मइक्रोब्लॉगिंग (Microblogging) भी कहा जाता है। यह इंटरनेट के जरिये दुनिया भर में अपने मित्रो , शुभचिंतको या फॉलोवर्स (Followers) को टवीट (Tweet) या सन्देश भेजने का सुविधाजनक तथा तीव्र जरिया है।

टवीट का उपयोग किसी विषय पर फॉलोवर्स की राय जनने , उन्हें सन्देश पहुंचाने , पसंदीदा मित्र बनाने , मनोरंजन तथा विज्ञापन आदि के लिए किया जाता है। टवीटर का प्रारंभ 2006 में जैक डोर्सी (Jack Dorsey) द्वारा किया गया था इसे इंटरनेट का SMS कहा जाता है।

3. यूट्यूब (Youtube) – यह एक वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म या वेबसाइट है जहाँ पर कोई भी व्यक्ति कोई भी वीडियो क्लिप डाल सकता है या पहले से डाले गए वीडियो क्लिप को देख सकता है , डाउनलोड कर सकता है तथा किसी अन्य को भी भेज सकता है।

यूट्यूब का प्रारम्भ Pay Pal कम्पनी के तीन व्यक्तियों चाड हर्ली (Chad Hurley) , स्टीव चेन (Steve Chen)  तथा जावेद करीम (Javed Karim) ने मिलकर 2005 मे किया।

भविष्य में इंटरनेट (Future of Internet)

आज इंटरनेट हमारे जीवन का अभिन्न अंग बनता जा रहा है। इंटरनेट पर उपलब्ध सेवाओं की सूचि इतनी लम्बी होती जा रही है की भविष्य में कोई भी इसके उपयोग से अछूता नहीं रहेगा। मोबाइल तकनीक से इंटरनेट के उपयोग ने इसे विश्व व्यापी आयाम दिया। वह दिन दूर नहीं जब हम दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर इंटरनेट से जुड़े उपकरणों को आवश्यक निर्देश देकर वांछित कार्य करवा सकेंगे तथा उनके प्रगति की समीक्षा कर सकेंगे। इस प्रकार , इंटरनेट भौगोलिक सीमाओं को पार कर सम्पूर्ण विश्व को एक ग्लोबल विलेज (Global Village) में समेट लेने की क्षमता रखता है। हमें उम्मीद है की आपको इंटरनेट के बारे अच्छे से जानकरी हो गयी होगी।

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